Piercing Line Candlestick Chart Pattern In Hindi

जय श्री राम दोस्तों मैं अपने ब्लॉग पर आप सभी का हार्दिक स्वागत करता हूं। हर बार की तरह आज एक और मजेदार पोस्ट लेकर आए हैं जो कि स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग के दौरान बहुत ही महत्वपूर्ण पैटर्न बनाती हैं और ट्रेडर्स को अच्छा मुनाफा देती है।

यह चार्ट पेटर्न मुख्यतः down trend के दौरान 2 कैंडल्स के द्वारा बना हुआ होता है। आज की इस पोस्ट में हम देखेंगे की स्टॉक मार्केट में यह पैटर्न किस तरह से बनता है, और किस जगह पर हमें ट्रेड लेना चाहिए, किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। यह पैटर्न बनने पर क्या-क्या सावधानी बरतना चाहिए आदि पर विशेष चर्चा करेंगे। 

Piercing Line Candlestick Chart Pattern kya hai?


Down ट्रेंड के दौरान किसी भी स्टॉक में support लेवल या  bottom के पास 1 बड़ी Red कैंडल के बाद दूसरी कैंडल पहले कैंडल के नीचे गेप डाउन खुलती है। गेट डाउन खुलने के बाद मार्केट में तेजी आती है और वह एक बड़ी candle की फुल बॉडी का निर्माण करके छोटी सी वीक बनाने के बाद क्लोजिंग देती है। जिससे स्टॉक मार्केट में पियर्सिंग लाइन कैंडलेस्टिक चार्ट पेटर्न का निर्माण होता है।

पियर्सिंग लाइन कैंडलेस्टिक चार्ट पेटर्न की मुख्य शर्तें/ विशेषता 


यह पैटर्न बनने के लिए इसमें कई शर्तें लागू होती है जिन्हें फुलफिल करने के बाद ही हम यह निर्धारित करते हैं कि यह पियर्सिंग लाइन कैंडलेस्टिक चार्ट पेटर्न है।

  • Piercing Line Candlestick Chart Pattern का निर्माण दो कैंडल्स के बनने से पूरा होता है, जिसमें पहले बेयरिश और दूसरी बुलिस कैंडल होती है।
  • जिसमें कोई भी स्टॉक अपना अधिकतम high लगाने के बाद down trend में चल रहा होता है और सपोर्ट लेवल के पास  या bottom के पास पियर्सिंग लाइन चार्ट पेटर्न का निर्माण करता है। 
  • इस पैटर्न का मुख्य रूप से निर्माण तब होता है जब bulls और bears दोनों कीमतों पर नियंत्रण पाने के लिए लड़ रहे होते हैं। 
Image: 2 दिन की Candles का Formation 
  • down trend के दौरान मार्केट में पहली कैंडल बड़ी रेड कैंडल बनती है अर्थात market open होने के साथ तुरंत ही तेजी के साथ नीचे गिर जाती है और एक बड़ी रेड कैंडल का निर्माण करती है। जिसमें विक बहुत ही छोटी होती है और मुख्य बॉडी बड़ी होती है।
  • उसके बाद दूसरी कैंडल उस stock में gap down के साथ opening होती हैं और वही उस stock का Low प्राइस होता है । साथ ही साथ उस stock का हाई प्राइस और क्लोजिंग प्राइस भी लगभग बराबर ही होता है। 
  • इस तरह से पहली और दूसरी कैंडल्स की फॉर्मेशन होती है। जिसमें एक ट्रेडर दूसरी ग्रीन कैंडल के लो प्राइस पर अपना Stop Loss लगाता है और उसके बाद की दूसरी कैंडल के हाई प्राइस के ऊपर कैंडल की क्लोजिंग के बाद अपनी ट्रेड को एग्जीक्यूट कर देता है ।
  • यदि दूसरी कैंडल के बाद तीसरी कैंडल अच्छी तरह से ब्रेक आउट दे देती है तब यहां से पूर्णत  ट्रेड चेंज की कन्फर्मेशन मिल जाती है और उसके बाद यहां से trend reversal हो जाता है।


Piercing Line Candlestick Chart Pattern Ki Formation

 

यह पैटर्न दो कैंडल्स के मिलने से बनता है, जिसमें पहले कैंडल बेयरिश और दूसरी कैंडल बुलिस होती है।

पहली कैंडल मार्केट खुलने के साथ ही बिकवाली के कारण down side आकर रेड कैंडल की फॉर्मेशन कर देती है।


Image: 2 चार्ट पर बनने वाली कैंडल्स का पैटर्न की मुख्य भूमिका

जबकि दूसरी कैंडल गैप डाउन ओपनिंग के साथ ही खरीदारी के कारण up side की ओर बढ़ जाती है और ग्रीन कैंडल का फार्मेशन करती है।


यदि इस पैटर्न का निर्माण down trend के बाद सपोर्ट पर बनता है तो यह काफी strong होता है। इसका मतलब यह है कि false pattern होने की संभावना बिल्कुल ना के बराबर होती है।

Piercing Line Pattern Banne Par Trade kab Lena chahiye?


एक trader को स्टॉक मार्केट में ट्रेड लेने के लिए पैटर्न की फाइनल कन्फर्मेशन का इंतजार करना चाहिए।

जब प्रॉपर सेटअप बैठ जाता है तब उसके बाद ही ट्रेडर को ट्रेडिंग के लिए अपने सेटअप के अनुसार ट्रेड बना लेना चाहिए।

इस दौरान यदि बीच में कहीं भी सेटअप बन जाता है और फाइनल कंफर्मेशन नहीं मिलती तब तक कहीं भी किसी भी ट्रेड में एंट्री नहीं करना चाहिए। 

अन्यथा fake पैटर्न का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए कोई भी ट्रेड बनाने से पहले स्वयं निवेशक एवं ट्रेडर को कंफर्म कर लेना चाहिए की क्या यह ट्रेड लेने के लायक हैं?


Stop Loss And Target कैसे सेट करें? 


स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग करते समय अपने किसी भी पोजीशन को नेकेड रूप में नहीं छोड़ना चाहिए उसका टारगेट और स्टॉप लॉस दोनों ही लगा लेना चाहिए। 

जब फाइनल कंफर्मेशन के बाद हमें पैटर्न से एंट्री मिलती है इस समय उस कैंडल का Low प्राइस पर stop Loss अवश्य लगाना चाहिए, जिससे यदि वह पैटर्न गलत साबित होता है तब हमें एक निश्चित सीमा के अंदर ही loss झेलना पड़े, अन्यथा स्टॉप लॉस न लगाने के कारण अपनी पूरी ही कैपिटल wipe out होने का खतरा होता है।

दूसरा जब हमारी एंट्री बनती है उसके बाद हमें टारगेट के लिए 1:1, 1:2 या उससे भी बड़ा ट्राइल करके अवश्य लेना चाहिए। ट्रायल करने का फायदा यह होता है कि उससे हमें एक निश्चित सीमा से भी अधिक प्रॉफिट लाभ मिल सकता है।

Piercing Line Pattern की रणनीति 


1. पियर्सिंग लाइन पैटर्न स्टॉक मार्केट में down trend के दौरान किसी बॉटम या सपोर्ट के पास बनता हुआ दिखाई देता है।

2. पियर्सिंग लाइन पैटर्न कंफर्म होने के बाद की अगली कड़ी में उसमें ट्रेडिंग करना होता है।

3. जब भी किसी स्टॉक में पियर्सिंग लाइन पैटर्न बन जाता है तो उसकी अगली रणनीति उसमें ट्रेड करने की होती है।

4. पियर्सिंग लाइन पैटर्न बनने के बाद एंट्री और एग्जिट प्वाइंट को पहले से ही निर्धारित कर लिया जाता है।

5. स्टॉप लॉस और टारगेट को निर्धारित जगह पर सेट करने के बाद उस स्टॉक में जिस भी तरफ मूवमेंट आता है उधर हमारा एक टारगेट या स्टॉप लॉस हिट हो जाता है ।

6. उसके बाद हम उस ट्रेड से एक तरफा एग्जिट हो जाते हैं और अन्य मोमेंट के लिए किसी और स्टॉक में पैटर्न पर नजर रखते हैं।

summary 


उपर्युक्त पोस्ट में हमने पियर्सिंग लाइन चार्ट पेटर्न के बारे में अच्छी तरह से जानकारी प्रदान की है। और आशा करता हूं कि इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आप स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग में अच्छी तरह से परफॉर्म कर पाएंगे। किसी भी तरह की आशंका के लिए आप बेझिझक कमेंट बॉक्स में अपना कमेंट भेज सकते हैं जिसका निवारण हम 24 घंटे में करने की कोशिश अवश्य करेंगे। 
अपने किसी भी सुझाव या शिकायत के लिए उचित कमेंट अवश्य करें। और यदि हमारी पोस्ट से आप संतुष्ट हैं तो फीडबैक के रूप में अवश्य बताएं जिससे हमें motivation मिलता है।

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